मीनाक्षी अम्माँ मँदिर , मदुरै
(मंदिर खुलने का समय - 5:00am- 12:30pm & 4:00pm- 10:00pm)

हमारा भारत अपनी प्राचीन सभ्यता के कारण जाना जाता है ! मंदिरों के लिये हमारा दक्षिण भारत अत्यंत प्रसिद्ध है !
वहीं का बेहद सुंदर , प्राचीन और धर्मिक स्थल है मीनाक्षी अम्मां मन्दिर, तमिल नाडु
यहां की पत्थर की कला कृतियाँ अद्वतीय है ! हिन्दु पौराणिक कथानुसार भगवान शिव सुन्दरेश्वरर रूप में अपने गणों के साथ पांड्य राजा मलयध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने मदुरई नगर में आये थे। मीनाक्षी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। इस मन्दिर को देवी पार्वती के सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। इस मन्दिर का स्थापत्य एवं वास्तु आश्चर्यचकित कर देने वाला है, जिस कारण यह
आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों की सूची में प्रथम स्थान पर स्थित है, एवं इसका कारण इसका विस्मयकारक स्थापत्य ही है।
पौराणिक कथा

हिन्दू आलेखों के अनुसार, भगवान शिव पृथ्वी पर सुन्दरेश्वरर रूप में मीनाक्षी से, जो स्वयं देवी पार्वती का अवतार थीं; उनसे विवाह रचाने आये (अवतरित हुए)। देवी पार्वती ने पूर्व में पाँड्य राजा मलयध्वज, मदुरई के राजा की घोर तपस्या के फलस्वरूप उनके घर में एक पुत्री के रूप में अवतार लिया था। वयस्क होने पर उसने नगर का शासन संभाला। तब भगवान आये और उनसे विवाह प्रस्ताव रखा, जो उन्होंने स्वीकार कर लिया। इस विवाह को विश्व की सबसे बडी़ घटना माना गया, जिसमें लगभग पूरी पृथ्वी के लोग मदुरई में एकत्रित हुए थे। भगवान विष्णु स्वयं, अपने निवास बैकुण्ठ से इस विवाह का संचालन करने आये। ईश्वरीय लीला अनुसार इन्द्र के कारण उनको रास्ते में विलम्ब हो गया। इस बीच विवाह कार्य स्थानीय देवता कूडल अझघ्अर द्वारा संचालित किया गया। बाद में क्रोधित भगवान विष्णु आये और उन्होंने मदुरई शहर में कदापि ना आने की प्रतिज्ञा की। और वे नगर की सीम से लगे एक सुन्दर पर्वत अलगार कोइल में बस गये। बाद में उन्हें अन्य देवताओं द्वारा मनाया गया, एवं उन्होंने मीनाक्षी-सुन्दरेश्वरर का पाणिग्रहण कराया।
यह विवाह एवं भगवान विष्णु को शांत कर मनाना, दोनों को ही मदुरई के सबसे बडे़ त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, जिसे
चितिरई तिरुविझा या
अझकर तिरुविझा, यानि सुन्दर ईश्वर का त्यौहार
उत्सव एवं त्यौहार

इस मन्दिर से जुड़ा़ सबसे महत्वपूर्ण उत्सव है
मीनाक्षी तिरुकल्याणम, जिसका आयोजन चैत्र मास (अप्रैल के मध्य) में होता है। इस उत्सव के साथ ही तमिल नाडु के अधिकांश मन्दिरों में वार्षिक उत्सवों का आयोजन भी होता है। इसमें अनेक अंक होते हैं, जैसे कि
रथ-यात्रा (तेर तिरुविझाह) एवं
नौका उत्सव (तेप्पा तिरुविझाह)। इसके अलावा अन्य हिन्दु उत्सव जैसे
नवरात्रि एवं
शिवरात्रि भी यहाँ धूम धाम से मनाये जाते हैं। तमिलनाडु के सभी शक्ति मन्दिरों की भांति ही, तमिल माहीने
आदि (जुलाई १५-अगस्त १७) और
तै (जनवरी १५ से फ़रवरी १५) में आने वाले सभी शुक्रवार बडे़ हर्षोल्लस के साथ मनाए जाते हैं। मन्दिरों में खूब भीड़ होती है।
मदुरै वातावरण
यहा के लोग बहुत ईमानदार है , किसी अनजान इंसान कि बहुत मदत करते है ! मैं खुद २०१७ मे जनवरी में मदुरै की यात्रा कि, तो आपको अपने अनुभव पर बता रहा हूँ ! एक बार यहां जरूर जाएँ ! हां अगर आपकी इंग्लिश थोडी कमजोर है तो आपको बातचीत मे थोड़ी दिक्कत हो सकती है अन्यथा आप यहां पूरी तरह सुरक्षित है !
होटल
No comments:
Post a Comment